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पश्चिम बंगाल में ममता के साथ नहीं करेगी गठबंधन : कांग्रेस

कोलकाता : लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी। पश्चिम बंगाल कांग्रेस नेतृत्व का यह सुझाव आलाकमान ने भी मान लिया है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने को लेकर शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान व राज्य के अन्य वरिष्ठ पार्टी नेता मौजूद थे।मगर ममता बनर्जी की इस रैली से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी का अलग रहना, अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहे हैं. मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन की कवायद हकीकत का जामा पहनेगा या फिर यह फसाना बनकर रह जाएगा यह तो खैर वक्त बताएगा, मगर कई राज्यों में जिस तरह से कांग्रेस से क्षेत्रीय पार्टियां दूरी बनाती दिख रही हैं, उससे यह अब एक बार फिर से चर्चा होने लगी है कि क्या सच में विपक्ष एकजुट है? ऐसे सवाल मन में इसलिए भी कौंध रहे हैं क्योंकि ममता के मंच पर करीब 20 राजनैतिक दलों के नेता मौजूद दिखे, जिनमें से कुछ का कांग्रेस के साथ गठबंधन है और कुछ ऐसे हैं जो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बगैर लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. कोलकाता में विपक्षी नेताओं के जमावड़े से यह स्पष्ट होता है कि भले ही उनके बीच गठबंधन न हो, मगर वह लोगों को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह मोदी सरकार के खिलाफ एक हैं.

सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभी राज्यों के प्रतिनिधियों से अलग-अलग चर्चा की। इस कड़ी में मित्रा व मन्नान से भी उन्होंने चुनावी रणनीति के संदर्भ में चर्चा की।

दरअसल, शनिवार को ममता बनर्जी द्वारा आहुत ‘संयुक्त भारत रैली’ में करीब 20 से 22 दलों के 20 नेता एक मंच पर साथ आए. ये नेता एक मंच पर एक साथ तो जरूर आ गए, मगर इनमें से कई ऐसे हैं जो पहले ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से अलग जाने का फैसला ले चुके हैं. अगर एक मंच पर विपक्षी दलों के नेता एक साथ नजर आ भी जाते हैं तो अब सवाल उठता है कि क्या बीजेपी को हराने के लिए एक साथ चुनावी मैदान में भी उतरेंगे? इसका जवाब शायद ज्यादातर ना ही होगा. कयोंकि हाल ही में उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश यादव ने सपा-बसपा के गठबंधन का ऐलान कर इस बात की तस्दीक कर दी कि यूपी में कांग्रेस अकेली हो गई है. यानी यूपी में अब कांग्रेस को बीजेपी से तो लड़ना है ही, साथ ही उसे बसपा और सपा से भी लड़ना है. इस तरह से विपक्षी पार्टियों के पास विजन स्पष्ट है कि केंद्र की सत्ता से मोदी सरकार को हराना है, मगर कैसे हटाना है यह तरीका नहीं पता है. 

बैठक से बाहर निकलने के बाद पत्रकारों से बातचीत में मित्रा ने कहा-‘हमने अपनी बात आलाकमान के समक्ष रखी है। हमने राहुल गांधी से कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल हमारी पार्टी को नुकसान पहुंचाने की हर कोशिश कर रही है। ऐसे में यदि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस-तृणमूल गठबंधन होता है तो यह पार्टी के हित में नहीं होगा।