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अलीगढ़ केस: SIT जांच में खुलासा,बदला लेने के लिए की मासूम की हत्या

उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ढाई साल की मासूम ट्विंकल शर्मा की नृशंस तरीके से हत्या के मामले में स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (SIT) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है।

एसआईटी जांच के सूत्रों के मुताबिक इस मामले में गिरफ्तार आरोपी मोहम्मद जाहिद और मोहम्मद असलम ने बच्ची के परिवार से बदला लेने के लिए ट्विंकल की हत्या की थी।

इस मामले में एक और आरोपी मेहंदी और जाहिद की पत्नी ने हत्या करने में जाहिद और असलम की मदद की थी। इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक आरोपियों ने पूछताछ में बताया है कि बच्ची की लाश असलम के घर भूसे में रखी गई थी।

हालांकि पुलिस को शक है कि लाश को नमी वाली जगह पर या फिर फ्रिज में रखा गया था। बच्ची की हत्या असलम के घर गला दबाकर की गई थी।

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बच्ची को जिस दुपट्टा से लपेटा गया था वो जाहिद की पत्नी का था। पुलिस के मुताबिक बच्ची साढ़े आठ बजे अपने भाई बहने के साथ घर से निकली थी और पड़ोस के घर में खेल रही थी।

इस दौरान वह दूसरी तरफ चली गई जहां आरोपियों ने उसका अपहरण कर लिया। इससे पहले शनिवार को पुलिस ने 2 और आरोपियों को गिरफ्तार किया। 

पुलिस मेहंदी और जाहिद की पत्नी को पकड़ने में सफल रही। इस मामले में 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

अलीगढ़ के एसएसपी के मुताबिक आज 2 और आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। जाहिद का छोटा भाई मेहंदी और जाहिद की पत्नी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

बच्ची की लाश को जिस दुपट्टा से लपेटा गया था वो जाहिद की पत्नी का था। इस मामले में अब तक 4 गिरफ्तारी हुई है।

मासूम बच्ची की हत्या करने वाला मोहम्मद जाहिद जुआरी बताया जा रहा है। दोस्तों के बीच वह सट्टा किंग के नाम से चर्चित है।

वहीं मामले में एक और आरोपी मोहम्मद असलम बच्ची की बेरहमी से हत्या करने से पहले और भी कई वारदातों को अंजाम दे चुका है।

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उत्तर प्रदेश : एक साथ चुनाव लड़ रही सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन की पहली रैली आज देवबंद में होगी

लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ रही सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन की पहली रैली आज देवबंद में होगी।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बीएसपी प्रमुख मायावती देवबंद में आज महागठबंधन की मेगा रैली को संबोधित करेंगे।  

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के देवबंद में महागठबंधन की साझा रैली पहली बार हो रही है। दोपहर में सभा की जाएगी।

चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश और मायावती कुल 11 रैलियों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे। वहीं इन रैलियों में आरएलडी नेता अजित सिंह भी मौजूद रहेंगे। इस बार सपा-बसपा-आरएलडी एक साथ चुनाव लड़ रही हैं।

पहले चरण के लिए 11 अप्रैल को 8 उत्तर प्रदेश की संसदीय सीटों पर चुनाव होगा।  बता दें कि यूपी में पहले चरण की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) में वोट डाले जाएंगे।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना परचम लहराया था।

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भाजपा सरकार के दो साल पूरा होने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की छवि बदली

उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के दो साल पूरा होने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस की।

उन्होंने सरकार के दो साल के कार्यकाल का हिसाब देते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में राज्य में विकास का माहौल बना है।

पहले प्रदेश की पहचान अपराध और अव्यवस्था से होती थी। सपा शासनकाल में हर साल दंगे होते थे पर भाजपा की सरकार में प्रदेश की कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है।

उन्होंने कहा कि यूपी की पहचान एक बीमारू राज्य के रूप में होती थी, लेकिन पिछले दो साल में प्रदेश की छवि बदली है। हमारी सरकार आने के बाद 86 लाख किसानों का कर्ज माफ किया गया।

प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट के द्वारा करीब चार लाख 28 हजार करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव पास हुए। कानून-व्यवस्था में सुधार की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पिछले दो साल में 3300 इनकाउंटर हुए जिससे कि अपराधियों में भय का माहौल व्याप्त हुआ।

74 कुख्यात अपराधी मारे गए। 12000 से ज्यादा अपराधियों ने इनकाउंटर किया। प्रदेश में दो साल में एक भी दंगा नहीं हुआ, जबकि सपा-बसपा कार्यकाल में तो दंगे लगातार होते थे। महिलाओं में सुरक्षा की भावना आई। इन दो वर्षों में एसिड अटैक की एक भी घटना नहीं हुई।

योगी ने किसानों के लिए किए गए सरकार के कामों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने आते ही प्रदेश के 86 लाख लघु एवं सीमांत किसानों का कर्जमाफ किया।

किसानों को उनकी फसलों का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने लगा है।

गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1460 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1840 रुपये प्रति क्विंटल किया गया।

सरकार ने बिचौलियों पर लगाम लगाई। आज प्रदेश उन राज्यों में शामिल हो गया है जहां किसानों को 18 घंटे बिजली मिल रही है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि अब प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से किसानों को आर्थिक सहायता मिल रही है।

इस योजना के तहत किसानों को हर वर्ष छह हजार रुपये दिया जाएगा। जिसकी पहली किस्त दी जा चुकी है। जिससे देश भर के करीब 12 करोड़ किसान लाभान्वित हुए हैं।

दो वर्षों में लंबे समय से लटकी प्रदेश की बाणसागर परियोजना को पूरा किया गया। सीएम योगी ने कहा कि कैराना-कांधला से पलायन करने वाले हिंदू वापस आए हैं।

प्रदेश के 53 जिलों में मोबाइल मेडिकल यूनिट चलाई जा रही हैं। जिससे कि पहले अगर मरीज डॉक्टर के पास आता था तो अब डॉक्टर खुद मरीज के पास जाता है।

दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके

दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। हालांकि अभी तक किसी नुकसान की खबर नहीं है। लोगों में दहशत का माहौल पैदा हो गया। सुबह-सुबह लोग भूकंप के झटके लगने के बाद घरों से बाहर निकल आए। 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत में बुधवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए जिसकी रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 4.0 मापी गई। राष्‍ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, भूकंप सुबह 7.59 बजे आया। भूकंप के झटके राष्ट्रीय राजधानी सहित पड़ोसी क्षेत्र में भी महसूस किए गए। ऊंची इमारतों में कई लोग भूकंप के झटके महसूस करने के बाद बाहर निकल आये। भूकंप की तीव्रता और उसके केंद्र के बारे में तत्काल जानकारी नहीं मिल पाई है। 

भूकंप आने से पहले इसकी जानकारी होने की संभावना नहीं होती है। ऐसे समय यह समझना मुश्किल होता है कि क्या करना उचित होगा। आज सुबह दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की खबर लगते ही लोगों के बीच अफरा-तफरी का माहौल हो गया। ऐसे में आप कुछ उपाय अपनाकर खुद और अपने परिजनों को इस आपदा से बचा सकते हैं।

भूकंप के दौरान घर के दरवाजे और खिड़की को खुला रखें। इसके अलावा घर की सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें। अगर बिल्डिंग बहुत ऊंची हो और तुरंत उतर पाना मुमकिन न हो तो बिल्डिंग में मौजूद किसी मेज, ऊंची चौकी या बेड के नीचे छिप जाएं

अखिलेश-मायावती के गठबंधन के बावजूद, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बरकरार

उत्तर प्रदेश: लोकसभा चुनाव की बढ़ती सरगर्मी के बीच सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर हैं। करीब 23 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में लोकसभा की 80 सीटें हैं। जाहिर तौर पर यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा और विपक्षी महागठबंधन, दोनों के लिए ‘जय या क्षय’ तय करने वाला राज्य है। भाजपा से बढ़ रही नाराजगी के बावजूद राज्य में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कायम है। जबकि चुनाव पूर्ण गठबंधन से बसपा-सपा खासा उत्साहित हैं। प्रियंका गांधी के राजनीति में औपचारिक रूप से आने के बाद कांग्रेस भी काफी उत्साह से भरी है। हालांकि फिलहाल कोई भी भविष्यवाणी करना कठिन होगा।

2014 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों में से 71 पर जीत हासिल की थी। जबकि उसके गठबंधन सहयोगी अपना दल को दो अन्य सीटें मिली थीं। बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा को जितनी सीटें हासिल हुई थीं उसका 25 फीसदी उत्तर प्रदेश से ही था। लेकिन 2019 के आम चुनाव में भाजपा के सामने उत्तर प्रदेश में अपनी पिछली कामयाबी दोहराने की बड़ी चुनौती होगी। अगर वह अपना पिछला आंकड़ा हासिल नहीं करेगी तो उसे बहुमत हासिल करने के लिए संघर्ष करना होगा। 

भाजपा को उम्मीद है कि वह पूर्वोत्तर समेत उन स्थानों पर नई सीटें जीतेगी, जहां वह हाल में एक खिलाड़ी के रूप में उभरी है। इसके बावजूद अगर उत्तर प्रदेश में सीटों का नुकसान होता है तो उसकी भरपाई करना असंभव भले न हो, मुश्किल होगा। राज्य में बसपा और सपा ने चुनावी गठबंधन बना लिया है, जो बीते दो दशक से राज्य की सत्ता के लिए आपस में तीखा संघर्ष करती हैं। भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में उन दोनों को हरा दिया था, लेकिन मार्च 2018 में बसपा और सपा की करीबी ने रंग दिखाया, जब उन्होंने उपचुनाव में गोरखपुर और फूलपुर की संसदीय सीटें भाजपा से छीन लीं।

एकतरफ भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने इन चुनावों को पानीपत की तीसरी लड़ाई जैसा बताया तो दूसरी तरफ सपा और बसपा के बीच रिश्तों में दशकों पुराने खटास की खाई खत्म होती नजर आई। यह गठबंधन यूपी की सियासत में विपरीत पाटों पर खड़े दो ऐसे दलों का गठबंधन है, इसके पहले 1990 के दशक में ही यह संयोग बना था जब यूपी की राजनीति में सपा-बसपा एकदूसरे के करीब आए थे। लेकिन लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड ने इन दोनों दलों के बीच खाई इतनी चौड़ी कर दी कि इसे भर पाना असंभव नजर आने लगा था।

2019 में बसपा और सपा 38-38 सीट पर चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने दो सीट कांग्रेस के लिए और दो सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ी है। हालांकि अभी कोई भविष्यवाणी करना कठिन है, जानकारों का अनुमान है कि बसपा-सपा महागठबंधन भाजपा की आधी सीटें झटक सकता है। कांग्रेस ने संकेत दिए हैं कि वह उत्तर प्रदेश में अपने बूते चुनाव लड़ेगी। उसने प्रियंका गांधी को महसचिव बनाकर अपने इरादे और स्पष्ट कर दिए हैं। प्रियंका का आना निश्चय ही यह एक अहम कारक रहेगा। तीसरी चीज यह है कि भाजपा से नाराजगी के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी कायम है।

इस बार चुनाव में तीन मसले अहम होंगे : मतदाताओं का रुझान, हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण और अर्थव्यवस्था को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बेचैनी। 2014 में भाजपा ने यह समीकरण बखूबी साधा था। 

उत्साह बढ़ाए रखने की जरूरत
2019 में भाजपा की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि वह अपने समर्थकों को प्रेरित कर पाती है या नहीं और कितने मतदाता मतदान केंद्र तक पहुंचते हैं। देखा गया है कि जिन क्षेत्रों में अधिक मतदान हुए, खासकर महिला मतदाताएं वोट देने निकलीं वहां भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा। युवा मतदाताओं से भी उसे काफी मदद मिली।

ग्रामीणों की बदहाली 
उत्तर प्रदेश की 78 फीसदी आबादी ग्रामीण है। यह भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। जानकारों की मानें तो यह किसानों की नाराजगी ही थी जिसके कारण राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सत्ता से भाजपा को बेदखल होना पड़ा। यह मसला उत्तर प्रदेश में भी अहम है।

प्रियंका के पद संभालते ही सपा-बसपा गठबंधन में खलबली

उत्तर प्रदेश : लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा के गठबंधन से प्रदेश में खलबली मची है। टिकट के दावेदार सपा व बसपा के दफ्तरों में लगातार चक्कर लगा रहे हैं। जिनकी उम्मीद टूट रही है, उनको तो कांग्रेस सुरक्षित ठिकाना लग रहा है। सपा व बसपा के नेता कांग्रेस में जगह तलाश रहे हैं।

कांग्रेस की नवनिर्वाचित महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कल नई दिल्ली में अपना कार्यभार संभाला। इस दौरान कांग्रेस के दफ्तर में उनसे मिलने वालों में पूर्व बसपा नेता के पुत्र भी थे। बसपा मुखिया मायावती के कभी बेहद खास रहे अतहर खान के पुत्र सुल्तान अहमद खान ने जब कल प्रियंका गांधी से भेंट की तो इसके बाद बसपा में खलबली मच गई।

प्रियंका गांधी के साथ कल कांग्रेस दफ्तर में भेंट की वायरल हो रही तस्वीर में जो दो शख्स बैठे हैं उनका नाम है सलमान अहमद खान और सुल्तान अहमद खान। सुल्तान के पिता अतहर खान उत्तर प्रदेश में बसपा के पुराने नेता थे। वह 32 वर्ष तक बसपा में रहे। प्रियंका गांधी से मिले सुल्तान अहमद खान ने 24 जनवरी को ही पिता अतहर खान के साथ कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। अतहर ने 12 मई 2017 को बसपा छोड़ दी थी।

उत्तर प्रदेश : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राम मंदिर के मुद्दे पर लोगों का सब्र का बांध टूट रहा है।

उत्तर प्रदेश : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राम मंदिर के मुद्दे पर लोगों का सब्र का बांध टूट रहा है। अगर सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस विवाद पर फैसला नहीं सुना सके तो यह मामला हमारे हाथ में सौंप दे। फिर राम मंदिर मामला 24 घंटे में ही सुलझा लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 2014 से भी अधिक सीटें मिलेंगी।

योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को एक टीवी चैनल पर एक सवाल के जवाब में कहा कि पहले अदालत को अयोध्या मामले को हमें सौंपने दीजिए। मैं अदालत से भी यही अपील करूंगा कि इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला कर दें।

उल्लेखनीय है कि 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रामजन्म भूमि के बटवारे पर अपना फैसला नहीं सुनाया बल्कि यह स्थापित किया कि बाबरी ढांचे को एक हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। हाईकोर्ट के आदेश पर भारतीय पुरातत्व विभाग ने विवादित स्थान पर खुदाई करके अपनी रिपोर्ट में प्राचीन राम मंदिर के अवशेष मिलने के सुबूत दिए थे।

योगी ने कहा कि टाइटल विवाद पर अनावश्यक रूप से जोर देकर अयोध्या मामले में देर की जा रही है। हम सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि वह जल्द से जल्द हमें न्याय दे। अदालत के फैसले से करोड़ों लोगों को संतोष मिले ताकि यह स्थान जनता की आस्था का प्रतीक बने। उन्होंने कहा कि इस मामले में अनावश्यक देरी से लोगों का भरोसा इन संस्थाओं से उठ जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनावश्यक देरी से लोगों का धैर्य और भरोसा टूट रहा है। मैं कहना चाहता हूं कि अदालत अपना फैसला जल्द दे। और अगर वह ऐसा कर पाने में नाकाम रहे तो वह यह मुद्दा हमें सौंप दे। हम रामजन्म भूमि विवाद को 24 घंटे के अंदर सुलझा देंगे। हम 25 घंटे का वक्त भी नहीं लगाएंगे।

यह पूछे जाने पर कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर अध्यादेश लेकर क्यों नहीं आई, आदित्यनाथ ने कहा कि मामला कोर्ट में है। संसद उन मामलों पर विचार नहीं कर सकती जो उस समय कोर्ट में विचाराधीन हैं। इसलिए हम इसे अदालत पर ही छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सवाल चुनाव में हार जीत का नहीं है बल्कि यह मामला देशवासियों की आस्था से जुड़ा हुआ है। आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस इस समस्या की जड़ में है। वह नहीं चाहती कि यह मामला सुलझे। अगर अयोध्या विवाद सुलझ जाएगा, तीन तलाक पर रोक लागू हो जाएगी तो देश में तुष्टिकरण की राजनीति हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।

उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन पर उन्होंने कहा कि अगर वह जाति आधारित लड़ाई को निचले स्तर पर भी ले जाते हैं तो भी मुकाबला 70-30 का ही होगा। सत्तर फीसद मतदाता भाजपा के ही साथ हैं। जबकि बाकी 30 फीसद वोटों के लिए गठबंधन बना है। उन्होंने प्रियंका गांधी के राजनीति में आने पर कहा कि कांग्रेस ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनके लिए परिवार ही पार्टी है। वह परिवार के परे देख ही नहीं सकते।