मेरी कक्षा- मेरा गौरव अभियान के से नामांकन अभियान को मिलगा और बल- संध्या मलिक

7 DAYS NATIONAL SEMINAR CUM WORKSHOP ON “DESIGNING AND DEVELOPMENT OF MOOCS” BEGINS AT PU

Chandigarh November 4, 2019

National Seminar cum Workshop on Designing and Development of MOOCs is organised by Centre for Academic Leadership & Education Management (CALEM), Department of Education, Panjab University, Chandigarh in collaboration with SWAYAM CELL, Panjab University, Chandigarh. Prof Raj Kumar, Vice Chancellor, Panjab University, Chandigarh 
enlightened the audience about the importance of MOOCs and the initiatives by MHRD (GOI) in this direction. He mentioned that this area of learning has huge potential. MOOCs have reached remote places, deprived ones, marginalized and people from diverse financial status. He motivated the participants and said that we need to come out in a mission mode to develop MOOCs.


        Prof. Manpreet Manna, Former Director, AICTE, MHRD, GOI shared with participants the journey and challenges of implementing SWAYAM platform initiatives in India. He mentioned that SWAYAM is the only structured academic e-learning platform in the world which is free of cost. Learners can find lectures on biotechnology to modern mysticism on MOOCs. He elaborated on the meaning of blended learning, flipped learning and pedagogy of MOOCs. In the first academic session, Dr. Tajinderpal Singh from UBS,PU,   discussed about the introduction and various technical aspects involved in the designing and submission of the MOOCs proposal to competent authorities.The four quadrant approach(
e-tutorial, e-content, discussion platform and assessment) in the  development of the MOOCs was also discussed.

Dr. Vishal Sharma, PU Coordinator SWAYAM highlighted the importance of MOOCs in the higher education sector for taking knowledge to diverse learners in our country and across the globe.


Prof. Jatinder Grover, Coordinator,Centre for Academic Leadership and Educational Management (CALEM ), PU,addressed the participants and introduced the theme of the 7 days’ workshop on developing MOOCs and shared that the MOOCs  are supplementto the formal learning, distance learning and for lifelong learning.


        He also shared that there are only four CALEMcentres in India.  PU is one of the University having this Centre approved by Govt. of India. He also highlighted that till date CALEM has organised 5 workshops of seven days and five workshops for 2 days for Faculty development.

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Lecture at PU

Chandigarh November 4, 2019

Institute of Forensic Science and Criminology, Panjab University organised a special lecture on ⌠Scientific Vision of Guru Nanak Dev■ to commemorate 550th birth anniversary of Sri Guru Nanak Dev Ji.  Prof. H. S. Virk (Prof. of Eminence and Former Dean, GNDU, Amritsar (Punjab) explicated the scientific vision of Guru Nanak Dev Ji where he correlated Gurubani with modern science along with highlighting Guru Nanak as reformer, humanist, intellectual, divine poet and to the worth a scientist.


        Prof Virk briefed that the divine sage challenged the entrenched practices and uploaded the universal values like truth, reason, logic, analysis and ethics with his scientific method and logical thinking. Connecting to science, Prof Virk elaborated the ⌠theory of relativity and its impact■ through ⌠Gurmat Nirnay■ and the Sardar Kapoor Singh exploration regarding cosmological idea of Sri Guru GranthSahib. The lecture conveyed the richness of Vaani of Guru Nanak Devin terms of His scientific vision.

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*12 फरवरी तक मनाया जाएगा ’’हर घर परिवार सूर्य नमस्कार अभियान’’* 

National Seminar at PU

Chandigarh November 4, 2019

 School of Punjabi Studies, Panjab University, Chandigarh in collaboration with Punjab Arts Council, Sector-16, Chandigarh is going to organize one-day National Seminar entitled Guru Nanak Bani Chintan : Pratirodh da Sabhiachaar ate Darshanik Samvad on 6.11.2019 in the Golden Jubilee Hall. This seminar is being organized to celebrate the 550th Parkash Purv of Sh. Guru Nanak Dev Ji.  The Inaugural Session of the Seminar will start at 9.30 a.m. followed by two academic sessions.  Prof. Raj Kumar (Vice-Chancellor, PU, Chandigarh) will be Chief Guest and Prof. Surjit Patar
(Padma Shri, Chairman, Punjab Arts Council) will preside over the Inaugural Session. On this occasion, Prof. Karamjit Singh (Registrar, PU, Chandigarh) will be special Guest and Prof. Jagbir Singh will deliver the Keynote Address.  Prof. Yog Raj (Chairperson, School of Punjabi Studies, PU) will thank the guests. The second session will be presided over by Dr. Manmohan, Dr. Lakhwinder Johal, and Amarjit Garewal, Prof. Sukhdev Singh, jointly.  The second session will be presided over by Dr. Surjit Singh Bhatti, Dr. Surjit Singh, Dr. Gurpal Singh Sandhu and Dr. Jatinder Grover.  Prof. Sarabjit Singh, Dr. Uma Sethi and Dr. Parveen Kumar will be the stage facilitator in the Inaugural session, first and the second academic sessions, respectively. Many other literary personalities and creative writers will participate in this Seminar.

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ग्राम सभा की विशेष बैठकों का शैड्यूल जारी

सिरसा, 4 नवम्बर।


              ग्राम पंचायत विकास योजना व मनरेगा श्रम बजट वर्ष 2020-21 के तहत खंड ऐलनाबाद व डबवाली की सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा की विशेष बैठकों का आयोजन किया जाएगा।


              यह जानकारी देते हुए जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी कुलभूषण बंसल ने संबंधित गांव के सरपंच, पंचों व गांव में कार्यरत विभिन्न सरकारी संस्थाओं के अधिकारियों / कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे उक्त बैठकों में निश्चित समय व स्थान पर उपस्थित होना सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि इन बैठकों में पब्लिक इंफरमेशन बोर्ड लगवाने व उनकी जियो टैगिंग करवाने, 5 सदस्यीय ग्रामीण सतर्कता एवं निगरानी कमेटी का गठन, महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत वर्ष 2020-21 का श्रम बजट तैयार करना, मनरेगा योजना के तहत जॉब कार्ड व रजिस्टरों को मैटेन करना, मनरेगा योजना के तहत नए कार्य जैसे केचुआ खाद, पशुओं के लिए शैड, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना कचरा प्रबंधन, जन-मन नरेगा एप, कन्या भ्रूण हत्या, स्वच्छ भारत मिशन, फसलों के अवशेष को न जलाने बारे आदि विषयों पर गहनता से चर्चा की जाएगी। साथ ग्राम सभा विकास गतिविधियों की प्राथमिकता पर प्रस्ताव पारित करना व अन्य विकासात्मक कार्यों पर चर्चा की जाएगी।

खंड ऐलनाबाद


              उन्होंने बताया कि 5 नवम्बर को गांव अमृतसर कलां, 6 नवम्बर को गांव अमृतसर खुर्द, 7 नवम्बर को बेहरवाला, 8 नवम्बर को भूर्टवाड़ा, 9 नवम्बर को बुढीमेड़ी व चिल्कनी ढाब, 11 नवम्बर को दमदमा व दयाल सिंह थेड़ी, 16 नवम्बर को ढाणी बचन सिंह व डाणी कान सिंह, 18 नवम्बर को ढाणी शेरां, 19 नवम्बर को धर्मपुरा, 20 नवम्बर को धोलपालिया, 21 नवम्बर को हरनी खुर्द, 22 नवम्बर को हुमायू खेड़ा, 23 नवम्बर को जगमलेरा, 25 नवम्बर को जीवन नगर तथा 26 नवम्बर को गांव कर्मसाना में ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 27 नवंबर को करीवाला, 28 नवम्बर को काशी का बास, 29 नवंबर को केशुपुरा, 30 नवंबर को खारी सुरेरा, 2 दिसम्बर को किशनपुरा, 3 दिसम्बर को कोटली, 4 दिसम्बर को कुमथल, 5 दिसम्बर को कुत्ताबढ, 6 दिसम्बर को मल्लेकां, 7 दिसम्बर को ममेराकलां, 9 दिसम्बर को ममेराखुर्द, 10 दिसम्बर को मैंहना खेड़ा, 11 दिसम्बर को मिर्जापुर, 12 दिसम्बर को मिठनपुरा, 13 दिसम्बर को मिठी सुरेरा व 14 दिसम्बर को मोजुखेड़ा में ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन किया जाएगा। उन्होने बताया कि 16 दिसंबर को मोजु की ढाणी, 17 दिसंबर को मूसली, 18 दिसंबर को निमला, 19 दिसंबर को प्रतापनगर, 20 दिसंबर को पट्टी कृपाल, 21 दिसंबर को फूलका, 23 दिसंबर को रत्ताखेड़ा, 24 दिसंबर को शेखुखेड़ा, 26 दिसंबर को तलवाड़ा खुर्द, 27 दिसंबर को ठोबरिया तथा 28 दिसंबर को गांव उमेदपुरा में ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन किया जाएगा।


खंड डबवाली


              उन्होंने बताया कि 5 नवम्बर को गांव चौटाला व खुईया मलकाना, 6 नवम्बर को गांव मांगेआना व जोगेवाला, 7 नवम्बर को गांव कालूआना व आसाखेड़ा, 8 नवम्बर को शेरगढ व राजपुरा माजरा, 11 नवम्बर को गोरीवाला व राजपुरा, 13 नवम्बर को रामपुरा बिश्रोईयां व मुन्नावाली, 14 नवम्बर को अलीकां व मटदादू तथा 15 नवम्बर को मसीतां व पाना में ग्राम सभा की विशेष बैठकों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 18 नवम्बर को देसूजोधा व मौजगढ, 19 नवम्बर को सावंतखेड़ा व सक्ताखेड़ा, 20 नवम्बर को अबूबशहर व मोडी, 21 नवम्बर को लंबी व बिज्जुवाली, 22 नवम्बर को झूट्टïीख्खेड़ा व अहमदपुर दारेवाला, 25 नवम्बर को तेजाखेड़ा व नीलांवाली, 26 नवम्बर को पन्नीवाला रूलदु व पन्नीवाला मोरिकां, 27 नवम्बर को लखुआना व गंगा, 28 नवम्बर को लोहगढ व सुखेराखेड़ा, 29 नवम्बर को दिवानख्खेड़ा व चकजालु में ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 2 दिसम्बर को गांव रिसालियाखेड़ा व रामगढ, 3 दिसम्बर को भारूखेड़ा व डबवाली गांव, 4 नवम्बर को हेबुआना व फूल्लो, 5 दिसम्बर को जोतांवाली व जंडवाला बिश्रोईयां, 6 दिसम्बर को गांव बनवाला व रत्त्ताखेड़ा तथा 9 दिसम्बर को गांव गोदिकां व गिदडख़ेड़ा में ग्राम सभा की विशेष बैठकों का आयोजन किया जाएगा।

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पराली जलाने वाले 105 किसानों पर डेढ लाख रूपये से अधिक का जुर्माना, एक पर एफआई आर दर्ज

सिरसा, 4 नवम्बर।


उपायुक्त अशोक कुमार गर्ग ने बताया कि पराली जलाने से बढते प्रदूषण की गंभीरता के मद्ïदेनजर हरसैक द्वारा अब तक 105 किसानों पर एक लाख 77 हजार रुपये से अधिक जुर्माना किया गया है और जोधका गांव के एक किसान पर एफआईआर दर्ज करवाई गई है।


उन्होंने बताया कि हरसैक द्वारा जिला में पराली जलाने के 205 स्थानों को चिन्हित किया गया है। इसके अलावा 30 गांव जो पराली जलाने के लिए अति संवदेनशील है, उनमें ग्राम सभा के माध्यम से किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिला सिरसा में पराली प्रबंधन के पर्याप्त कृषि यंत्र है और 198 कस्टम हायरिंग सैंटर भी स्थापित किए गए हैं, जिससे किसान रियायती दरों पर या किराय पर भी कृषि यंत्र लेकर पराली प्रबंधन कर सकते हैं। सिरसा में 100 स्ट्रा बेलर यूनिट अनुदान पर दिए जा रहे हैं, जिससे किसानों को पराली प्रबंधन मेें सहायता मिलेगी। इसके अलावा 60 पंचायतों को जहां धान की पैदावार ज्यादा होती है, कस्टम हेयरिंग सैंटर स्थापित किए जा रहे हैं। उपायुक्त ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा पराली जलाने की घटना में कमी आई है। पिछले वर्ष कुल 423 आगजनी की घटनाएं हुई थी, जिसमें 370 एकड़ क्षेत्रफल में फसल अवशेष जलाया गया था, जबकि इस वर्ष अब तक 205 जगह आगजनी की घटना हुई है, जिसमें 112 एकड़ में फसल अवशेष जलाया गया है। उन्होंने किसानों से आहवान किया कि वे पर्यावरण को बचाने में सहयोग करें और पराली न जलाएं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी और जो व्यक्ति पराली जलाने वाले की सूचना देगा उसे एक हजार रूपये का ईनाम दिया जाएगा और उसकी पहचान गुप्त रखी जाएगी। 

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पूरे प्रदेश में पराली जलाने एवं अन्य कारणों से उत्पन्न हुए भयावह प्रदूषण को देखते हुए जिला प्रशासन ने कड़े कदम उठाये है।

पंचकूला, 4 नवंबर-

पूरे प्रदेश में पराली जलाने एवं अन्य कारणों से उत्पन्न हुए भयावह प्रदूषण को देखते हुए जिला प्रशासन ने कड़े कदम उठाये है। उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने धान की फसल के अवशेष यानी पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। भारतीय दण्ड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उन्होंने यह निर्देश जारी किये हैं। इन आदेशों की उल्लघंना करने वाले किसानों पर जुर्माना लगाया जायेगा। 

उक्त निर्देश जारी करते उन्होंने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है जिससे मानव व अन्य जीवों के स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। विशेषकर अस्थमा व अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों को इस धुंए के कारण अधिक दिक्कत पेश आती है। उन्होंने कहा कि किसान धान की पराली को जलाने की बजाए इसका वैज्ञानिक स्तर पर प्रबंधन करें। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा 8 तरह के उपकरण 50 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो छोटे किसान यह उपकरण अपने स्तर पर खरीदने की स्थिति में नहीं है उनकी सुविधा के लिए जिला में 7 कस्टम हायरिंग सैंटर स्थापित किये गये है जोकि गांव बतौर, रायपुररानी, भगवानपुर, बिहौड, व भरौली में है। इन सैंटरों से कोई भी किसान किराये पर उपकरण लेकर पराली का वैज्ञानिक प्रबंधन कर सकता है। इसके साथ साथ इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा 42 रोटावेटर, 24 जीरो ड्रिल, 2 सर्ब मास्टर और 1 रिवरसिबल एमबी प्लो, 1 स्ट्रा चोपर, 1 स्ट्रा मनैजमैंट सिस्टम अनुदान पर दिया गया है। 

जिला उप कृषि निदेशक वजीर सिंह ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिये जिला में 20 सितंबर से 5 अक्तूबर तक फसल अवशेष सीआरएम यानी फसल अवशेष प्रबधंन पखवाड़ा भी मनाया गया था, जिसमें किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जागरूक किया गया था। उन्होंने बताया कि अभी तक 18 जगहों पर फसल अवशेष जलते पाये गये है, जिसमें से 14 व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाही अमल में लाई गई है और शेष के मुकदमा दर्ज करवाया जायेगा। 

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उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के उपभोक्ता शिकायत निवारण

पंचकूला, 4 नवंबर-     

उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच के चेयरमैन एवं सदस्य मंच की कार्यवाही 5 नवम्बर को प्रातः 11.00 से दोपहर 2.00 बजे तक कार्यकारी अभियंता के कार्यालय, 517-518, पॉवर कॉलोनी, इंडस्ट्रीयल एरिया, फेस-2, पंचकूला  में की जाएगी।  

इस संबंध में जानकारी देते हुए एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मंच के सदस्य, उपभोक्ताओं की सभी प्रकार की समस्याओं की  सुनवाई करेंगे। इन समस्याओं में बिलिंग, वोल्टेज, मीटरिंग से सम्बंधित शिकायतें, कनैक्शन काटने और जोडने बिजली आपूर्ति में बाधाएं, कार्यकुशलता, सुरक्षा, विश्वसनीयता में कमी और हरियाणा बिजली विनियामक आयोग  के आदेशों की अवहेलना आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस दौरान मंच द्वारा बिजली अधिनियम की धारा 126 तथा धारा 135 से 139 के अन्तर्गत बिजली चोरी और बिजली के अनधिकृत उपयोग के  मामलों में दंड तथा जुर्माना और धारा 161 के अन्तर्गत जांच एवं दुर्घटनाओं से सम्बंधित मामलों की सुनवाई नहीं की जाएगी। उन्होंने सभी उपभोक्ताओं से अपील की कि वे अपनी शिकायतों के निवारण के लिए इस अवसर का लाभ उठाएं।

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समय पर इलाज से अंग कटने से बचा जा सकता है: डा. एच.के.बाली

News 7 World Exclusive:

पैरीफैरल वेस्कूलर बीमारी हार्ट अटैक से चार गुणा अधिक जानलेवा: डा. एच.के.बाली

पंचकूला, 4 नवंबर : पैरीफैरल आर्टरी की बीमारी तथा शुगर के कारण पैर खराब होने की बीमारी के बारे जागरूकता पैदा करने के लिए पारस सुपरस्पेशलिटी अस्पताल  पंचकूला के डाक्टरों की टीम ने मीडिया के साथ बातचीत की। अस्पताल के कार्डियक साइंस के चेयरमैन डा. एच.के.बाली जिनका दिल की बीमारियों के इलाज में 30 वर्ष का अनुभव है तथा 15000 से अधिक कार्डियक इंटरवैशन कर चुके हैं, ने कहा कि पैरीफैरल वेस्कूलर बीमारी रक्त की नाडिय़ोंं से संबंधित बीमारी है। यह दुनिया भर में 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत लोगों को है।

डा. बाली ने बताया कि इस बीमारी में पैरों-हाथों को रक्त की सप्लाई करने वाली नाडिय़ां सिकुड़ जाती हैं तथा रक्त की सप्लाई घट जाती है या बिल्कुल बंद हो जाती है। यह बीमारी आम तौर पर टांगों पर असर डालती है तथा कई बार बाजूओं पर भी असर होता है। कई लोग प्राथमिक लक्षण के समय इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते। हाथ-पैर में दर्द या सुनेपन को वह कई बार उम्र का तकाज़ा कहकर नजरअंदाज कर देते हैं। इन लक्षणों को नजरअंदाज करने से गैंगरीन हो सकती है तथा जिस कारण शरीर का अंग कटवाना पड़ता है।

शुगर व ब्लड सर्कूलेशन रूकावट के कारण भारत में हर वर्ष 80000 हाथ-पैर काटे जाते हैं: डा. एच.के.बाली

डा. एच.के.बाली ने यह भी बताया कि पैरीफैरल वेस्कूलर बीमारी पहले टांगों के बाहर असर डालती हैं। इससे चलने के समय तकलीफ होती है तथा कई बार लेटने के समय भी दर्द रहता है तथा फिर अलसर (फोड़ा) बन जाता है, आखिर में गैंगरीन हो जाती है। पैरीफैरल वेस्कूलर बीमारी अपने आप में कोई बीमारी नहीं, बल्कि यह दिल की बीमारियों कैरीब्रोवेस्कूलर के लिए संकेतक है, जिस कारण मौत भी हो सकती है। इस बीमारी की आधे मरीजों में दिल की बीमारियों वाले लक्षण ही होते हैं। इसका कारण धूम्रपान, बल्ड प्रैशर, हाईपर कलोस्टे्रल तथा परिवारिक हिस्ट्री हो सकता है। इस बीमारी में खून की नाडिय़ों के अंदर चिकनाई आदि जम जाती है , जिस कारण हाथ-पैरों को रक्त की पूरी सप्लाई नहीं हो पाती तथा नाडिय़ां सिकुड़ जाती हैं। इससे हाथ-पैर को आक्सीजन भी पूरी नहीं मिलती। जागरूकता तथा अनुभवी डाक्टरों की कमी के कारण 80000 भारतीय अपने अंग गवा बैठते हैं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के कारण 90 प्रतिशत केसों में अंग कटवाने से बचा जा सकता है, इसलिए शिक्षा तथा समय पर इलाज की जरूरत है।

देश में शुगर के 70 मिलीयन मरीज हैं, जो 2030 तक 98 मिलियन हो जाएंगे: डा. कपिल छत्तरी

पारस अस्पताल के दिल के रोगों के सीनियर कंस्लटैंट डा. कपिल छत्तरी ने अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि पीवीडी के इलाज के लिए बहुत सारे विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि यदि चलने-फिरने के समय बहुत ज्यादा दर्द नहीं है, तो इसका इलाज रक्त पतला करने वाली दवाईयों, शुगर कम करके तथा रक्त सप्लाई में इजाफा करके किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आराम की अवस्था में भी दर्द होने तथा अलसर हो जाने की सूरत में तुरंत इलाज की जरूरत पड़ती है।

शुगर के मरीजों के पैरों के पंजे काले होना सिर्फ गैंगरीन का लक्ष्ण नहीं, यह दिल की बीमारी के कारण भी हो सकते हैं: डा. कपिल छत्तरी

डा. कपिल ने बताया कि एंजीयोग्राफी/एंजीयोप्लास्टी से इलाज करके हाथ-पैर काटे जाने से बच सकते हैं। सर्जरी करके भी अंग काटे जाने से बचा जा सकता है। इसके बाद जान बचाने के लिए अंतिम विकल्प अंग काटना ही रह जाता है।

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IGNOU – Post B. Sc. Nursing Entrance Test on 9th November, 2019

Chandigarh:

Indira Gandhi National Open University (IGNOU) is conducting Entrance Test for Post B. Sc. Nursing on 

Saturday, 9th November, 2019 (10:00 AM to 12:30 PM) for admission in Post B. Sc. Nursing Programmes for January, 2020 Session. 

The Entrance Test is being organized at 47 Examination Centres of IGNOU across the country accommodating 4626 candidates. 

Under Chandigarh Regional Centre the Entrance Test will be organized at Lajpat Rai Bhawan, Sector – 15B, Chandigarh accommodating 209 candidates.

The Hall-Tickets have already been UPLOADED ON the University website www.ignou.ac.in . The candidates are advised to download the hall ticket by entering their username and password and report to the Examination Centre.  In case candidates are unable to download the Hall-Ticket, they can contact the Regional Centre and obtain a print out of the hall ticket from the Regional Centre.

Candidates must report at the Examination Centre 45 minutes before commencement of the Entrance Test. Due to operational reasons request for change of examination centre will not be entertained

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महिला स्वयं सहायता समूहों ने दिलाई पराली न जलाने की शपथ

सिरसा, 4 नवम्बर।

गांव शाहपुर बेगु व रत्ताखेड़ा में ग्रामीणों को दिया पराली न जलाने का संदेश


              हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सचालित महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने खंड सिरसा के गांव शाहपुर बेगु व खंड डबवाली के गांव रत्ताखेड़ा में प्रभात फेरी निकाल कर ग्रामीणों को पराली न जलाने का संदेश दिया।


              हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक दयानंद जांगड़ा ने बताया कि महिलाओं ने प्रभात फेरी निकाली व पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में ग्रामीणों को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा पराली जलाने से पैदा हो रहे धूएं के कारण मानव को सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। इस तरह का प्रदूषण फैला कर हम अपने और समाज का बहुत नुकसान कर रहे हैं। पराली जलाने से न केवल मनुष्य या पशुओं के जीवन पर बुरा असर पड़ता है। उन्होंने बताया कि धान की पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, सबसे अधिक वायु प्रदूषित होती है। वायु में उपस्थित धुएं से आंखों में जलन एवं सांस लेने में दिक्कत होती है। प्रदूषित कणों के कारण खांसी, अस्थमा जैसी बीमारियों को बढ़ावा मिलता है, प्रदूषित वायु के कारण फेफड़ों में सूजन, संक्रमण, निमोनिया एवं दिल की बिमारियों सहित अन्य कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ-साथ किसानों के पराली जलाने से भूमि की उपजाऊ क्षमता लगातार घट रही है। इस कारण भूमि में पोषक तत्वों में कमी आई है और मित्र कीट नष्ट होने से शत्रु कीटों का प्रकोप बढ़ा है, जिससे फसलों में विभिन्न प्रकार की नई बिमारियां उत्पन्न हो रही हैं। इस अवसर पर महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने ग्रामीणों को पराली न जलाने की शपथ भी दिलवाई। इस मौके पर खंड कार्यक्रम प्रबंधक जगदीप सिंह, भजन लाल भी मौजूद थे।

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