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स्वास्थ्य विभाग की ओर से आजादी का अमृत महोत्सव के तहत ‘स्वास्थ्य तन-स्वस्थ्य घर’ टैगलाइन के साथ ब्रैस्ट कैंसर पर वर्कशॉप का किया आयोजन

  • उपायुक्त श्री महावीर कौशिक ने परंपरागत दीप प्रज्ज्वलित कर किया वर्कशाॅप का शुभारंभ

शुरूआती जांच से मृत्यु के जोखिम को 25-30 प्रतिशत या उससे अधिक तक कम किया जा सकता है

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पंचकूला, 27 फरवरी- स्वास्थ्य विभाग की ओर से पंचकूला के सेक्टर 1 स्थित लघु सचिवालय के सभागार में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत शस्वास्थ्य तन-स्वस्थ्य घर टैगलाइन के साथ ब्रैस्ट कैंसर पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
इस वर्कशाप का पंचकूला के उपायुक्त श्री महावीर कौशिक ने परंपरागत दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।
इस अवसर पर उपायुक्त ने कहा कि किसी भी बीमारी का यदि समय पर पता लगा लिया जाए तो उसका इलाज संभव है। उन्होंने उपस्थित महिलाओं से आह्वान किया कि वे इस वर्कशॉप से स्वयं तो सीख कर जाएं ही साथ ही वे अपने आस-पास की महिलाओं को भी ब्रैस्ट कैंसर जैसी बीमारी के बारे में जगरूक करें।
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ मुक्ता कुमार ने महिलाओं को यहां से पूरी जानकारी लेकर जाने का आहवान किया।
डॉ. शिल्पा सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे अधिक प्रचलित कैंसर है और यह महिलाओं में कैंसर के सभी मामलों में से 25 प्रतिशत से 31 प्रतिशत तक के मामलों में होता है।
वर्कशाप में डिप्टी सिविल सर्जन डॉक्टर मोनिका के महिलाओं को ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण, इलाज इत्यादि के बारे में जानकारी दी। उन्हेंने बताया कि स्तन कैंसर महिलओं में कैंसर से होने वाली मौत का एक प्रमुख कारण है और महिलाओं में कैंसर के चार मामलो में से एक इसका कारण है। यह भारत में महिलओं में सभी कैंसर के मामलों में पहले स्थान पर है जिसकी आयु समयोजित दर 25.8 प्रति एक लाख महिलाओं और मृत्यु दर 12.7 प्रति एक लाख महिलाओं के बराबर है। उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर पुरूषों में भी हो सकता है । डाॅ. मोनिका ने लाईव डेमो के माध्यम से ब्रेस्ट कैंस्ट सैल्फ एग्जामिनेशन की प्रक्रिया के साथ एक महिला खुद की जांच कैसे कर सकती है के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि शुरूआती जांच से मृत्यु के जोखिम को 25-30 प्रतिशत या उससे अधिक तक कम किया जा सकता है क्योंकि शुरूआती जांच से शुरुआती पहचान में मदद मिल सकती है। यदि चरण 0 या चरण 1 में स्तन कैंसर का पता लग जाये तो स्तन कैंसर से ठीक होने की दर 100 प्रतिशत के करीब है और यह केवल स्क्रीनिंग के माध्यम से पता किया जा सकता है।
इस मौके पर ब्रैस्ट कैंसर पीड़ित मरीजों से भी बातचीत की गई।

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