आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन विवाद क्या है

सीबीआई के अनुसार यह आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन के मालिक वेणुगोपाल धूत को कर्ज देने के बदले बैंक की तत्कालीन सीईओ चंदा कोचर द्वारा घूस लेने का मामला है। घूस की रकम चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर के खाते में जमा कराई जाती थी। हर बार जितनी राशि का कर्ज चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक से वीडियोकॉन को स्वीकृत किया, उसकी दस प्रतिशत रकम वीडियोकॉन या उसकी सहयोगी कंपनियों द्वारा न्यूपावर के खाते में जमा करा दी जाती थी। सारा काम कई कंपनियों के एक ताल के माध्यम से हो रहा था ताकि जांच एजेंसियों की निगाह से बचा जा सके।
- दिसंबर 2008 – वेणुगोपाल धूत, दीपक कोचर और उनका भाई राजीव कोचर साझेदारी में न्यूपावर रीन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी स्थापित करते हैं।
- चंदा कोचर 2009 में आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ बनती हैं।
- जनवरी 2009 – धूत न्यूपावर के अपने 25000 शेयर ढाई लाख रुपये में दीपक कोचर को बेच देते हैं।
- जून 2009 – धूत न्यूपावर से अपना शेयर निकाल कर अपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी में डाल देते है। यानी साझेदारी खत्म।
- मार्च 2010 – धूत की सुप्रीम एनर्जी न्यूपावर को 64 करोड़ रुपये का कर्ज देती है।
- मार्च 2012 – धूत सुप्रीम एनर्जी के सारे शेयर दीपक कोचर के पिनेकल ट्रस्ट को नौ लाख रुपये में बेच देते हैं। यानी कोचर धूत से लिया 64 करोड़ का कर्ज मात्र नौ लाख रुपये में अदा कर देते हैं।
- अप्रैल 2012 – आईसीआईसीआई बैंक वीडियोकॉन समूह की पांच कंपनियों को 3250 करोड़ रुपये का कर्ज देता है।
- अप्रैल 2012 – टैक्स हैवेन माने जाने वाले मारीशस की कंपनी फर्स्टलैंड होल्डिंग्स कोचर की न्यूपावर में 325 करोड़ रूपया डालती है। यानी कर्ज की राशि की दस फीसदी।
- कर्ज की इस रकम में से 2810 रुपये यानी 86 प्रतिशत राशि आज तक अदा नहीं की गई है। बैंक ने 2017 में इसे एनपीए करार दे बट्टे खाते में डाल दिया।
- अप्रैल 2012 – आईसीआईसीआई बैंक वीडियोकॉन समूह की टैक्स हैवन माने जाने वाले केमैन द्वीप स्थित कंपनी को 660 करोड रुपये का कर्ज देती है।
- मॉरीशस स्थित डीएच रीन्यूएबल्स कोचर की न्यूपावर में 66 करोड़ रूपया डालती है। यानी कर्ज की राशि का दस फीसदी।
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